बहुमत के बावजूद बागी पार्षद अलग थलग पड़े, भाजपा ने दिया नपाध्यक्ष को अभयदान -अध्यक्ष विरोधी भाजपा पार्षदों पर अविश्वास प्रस्ताव वापस लेने ...
बहुमत के बावजूद बागी पार्षद अलग थलग पड़े, भाजपा ने दिया नपाध्यक्ष को अभयदान
-अध्यक्ष विरोधी भाजपा पार्षदों पर अविश्वास प्रस्ताव वापस लेने का बनाया जा रहा है दवाब
अशोक कोचेटा
शिवपुरी । नगर पालिका शिवपुरी में अध्यक्ष गायत्री शर्मा के विरोधी कांग्रेस और भाजपा पार्षद अब राजनैतिक रूप से अलग थलग पड़ते नजर आ रहे हैं। अध्यक्ष विरोधी भाजपा पार्षदों पर अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव वापस लेने के लिए पार्टी द्वारा दवाब डाला जा रहा है। विरोधी पार्षदों के साथ बैठक में भाजपा जिलाध्यक्ष जसमंत जाटव ने साफ साफ कह दिया कि वह अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव वापस लें और उनकी मांगों पर पार्टी द्वारा तीन माह में विचार कर निर्णय लिया जाएगा। इससे साफ है कि भाजपा ने नपाध्यक्ष गायत्री शर्मा को एक तरह से अभयदान दे दिया हैै। उनके विरूद्ध कांग्रेस के दस पार्षदों में से 9 ने झण्डा बुलंद किया है लेकिन सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस नेतृत्व भी परोक्ष रूप से अध्यक्ष को बचाने की मुद्रा में हैं। भाजपा के रूख से पार्टी के बागी पार्षद असमंजस में हैं और उनमें भी बताया जाता है कि अविश्वास प्रस्ताव को लेकर दो फाड़ की स्थिति निर्मित हो गई है। एक ग्रुप का कहना है कि पार्टी यदि तीन माह का समय इस विवाद को निपटाने के लिए मांग रही है तो समय दिया जाना चाहिए और अविश्वास प्रस्ताव की जिद्द नहीं करना चाहिए। क्योंकि आज की भाजपा से दवाब में कोई बात नहीं मनवाई जा सकती। जबकि दूसरे धड़े की राय है कि हर हालत में अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहिए और इस बात की परवाह नहीं करना चाहिए कि उनका अविश्वास प्रस्ताव पारित होता है अथवा नहीं औैर यदि अविश्वास प्रस्ताव पारित नहीं होता है तो बगीचा सरकार के समक्ष खाई शपथ का पालन करते हुए बागी पार्षद इस्तीफा दे देने के लिए तैैयार हैं। एक बागी पार्षद ने अपना नाम न छापने की शर्र्त पर यह भी कहा कि यदि कलेक्टर अविश्वास प्रस्ताव पर निर्णय नहीं लेते हैं तो पूरा मामला न्यायालय में भी ले जाया जाना चाहिए।
नगर पालिका में अध्यक्ष के विरूद्ध मौजूदा विवाद तब सामने आया जब नपाध्यक्ष गायत्री शर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए भाजपा और कांग्रेस के पार्षद एक जुट हुए। उन्होंने करैैरा में बगीचा सरकार हनुमान मंदिर में दरबार के समक्ष शपथ खाई की वह नपाध्यक्ष गायत्री शर्मा से इस्तीफा लेंगे और यदि इस मुहिम में सफल नहीं हुए तो स्वयं पार्षद पद से इस्तीफा दे देंगे। बताया जाता है कि नगर पालिका के 39 पार्षदों में से शपथ लेने वाले पार्षद अथवा उनके सगे संबंधियों की संख्या लगभग 18 थी। इनमें भाजपा के 13 और कांग्रेस के पांच पार्षद शामिल थे। बाद में दो अन्य पार्षदों ने भी उन्हें अपना समर्थन दिया। 39 सदस्यीय नगर पालिका में अध्यक्ष पार्षदों के रूख से अल्पमत में आ गई और इससे भाजपा में हड़कंप मच गया। तत्पश्चात जिलाध्यक्ष जसमंत जाटव और विधायक देवेन्द्र जैन ने पार्षदों की बैठक बुलाकर बागी पार्षदों को मनाने का प्रयास किया लेकिन उन्हें सफलता हांसिल नहीं हुई। बागी पार्षद अपनी मांगे मनबाने के लिए भोपाल पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों से मिलने के लिए गए लेकिन वहां उन्हें लिफ्ट नहीं मिली और बागी पार्षदों से कहा गया कि अध्यक्ष के खिलाफ तुम तीन चार पार्षद ही हो। सूत्र बताते हैं कि इसके बाद बागी पार्षदों के खिलाफ प्रशासनिक स्तर की कार्यवाही करने की भी चर्चा चली। मीडिया में खबरें चली की पार्षद ओमप्रकाश जैन ओमी की संपत्ति की जांच कराई जाएगी। इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप ओमी जैन ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया बाद में जिलाध्यक्ष ने उनके निवास स्थान पर पहुंचकर इस्तीफे को नकारा और कहा कि उनकी पार्टी से बात चल रही है तथा एक सप्ताह के भीतर पूरे मामले पर कोई निर्णय ले लिया जाएगा। परन्तु समय निकल गया और कोई निर्णय नहीं हुआ। इसके पश्चात बागी पार्षदों ने जिनकी संख्या 22 उन्होंने कलेक्टर को अध्यक्ष को पद से हटाने के लिए हस्ताक्षरित ज्ञापन दे दिया। यह देखकर भाजपा फिर सक्रिय हुई और जिलाध्यक्ष जसमंत जाटव ने अध्यक्ष और उनके विरोधी पार्षदों से संपर्क कर चर्चा की। बागी पार्षदों से कहा कि वह अपने पक्ष में 30 पार्षदों के हस्ताक्षर कराकर लगाऐं वहीं अध्यक्ष गायत्री शर्मा से कहा कि वह अपने पक्ष में 15 पार्षदों के हस्ताक्षर कराऐं। 24 घंटे के भीतर बागी पार्षदों ने 39 में से 31 पार्षदों के हस्ताक्षर कराकर पत्र जिलाध्यक्ष को सौंप दिया परन्तु अध्यक्ष अपनी संख्या की पूर्ति नहीं कर सकी। जिलाध्यक्ष ने पूरे मामले से केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और भाजपा के प्रदेश नेतृत्व को अवगत कराया और उनसे मिले निर्देशों के बाद जिलाध्यक्ष जसमंत जाटव ने सिंधिया जी के शिवपुरी दौरे से एक दिन पहले बागी पार्षदों से अविश्वास प्रस्ताव वापस लेने और इस मामले को निपटाने के लिए तीन माह का समय मांगा। इससे भाजपा का रूख स्पष्ट हो गया। केन्द्रीय मंत्री सिंधिया के दौरे में भाजपा के बागी पार्षद उन्हें माला पहनाने के लिए गए लेकिन इस मामले में सिंधिया ने उनसे कोई बात चीत नहीं की।
वॉक्स:-
नपाध्यक्ष के समर्थन में आधा दर्जन नेता मैदान में
नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा को पद पर बनाए रहने के पक्ष में आधा दर्जन नेता सक्रिय हो गए हैं और उन्होंने पार्षदों पर दवाब डालना शुरू कर दिया है। इनमें भाजपा के एक पूर्व जिलाध्यक्ष, दो सांसद प्रतिनिधि, एक स्कूल संचालक एक होटल व्यवसायी आदि के नाम बताए जा रहे हैं। बताया जाता है कि ये नेता अपने-अपने संपर्र्क के पार्षदों से बातचीत कर उन्हें अविश्वास प्रस्ताव वापस लेने के लिए कहा जा रहा है। चर्चा तो यह भी है कि पार्षदों को फोडऩे के लिए धन बल का प्रयोग भी किया जा रहा है। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है।
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