क्या जिले की राजनीति में मुर्दाबाद के नारे अब आम हो गए हैं...? ...
क्या जिले की राजनीति में मुर्दाबाद के नारे अब आम हो गए हैं...?
शिवपुरी / जिले की राजनीति में मुर्दाबाद के नारे अब आम हो गए हैं...? या फिर यूं कह ले कि मेरे शहर और मेरे जिले में कब-कब लगे मुर्दाबाद के नारे और क्यों लगे...? शहर और जिले की राजनीति पूर्व समय से ही महल से जुड़ी है महल की कई पीढ़ियां इस शहर और जिले पर राजनीति करती रही है और महल के जनप्रतिनिधियों ने इस शहर और जिले को कई नेता भी दिए और उन नेताओं ने महल के जनप्रतिनिधियों से बगावत भी की है बावजूद इसके शहर और जिले में नेताओं के खिलाफ मुर्दाबाद के नारों ने अब जन्म ले लिया है हाल के दिनों में संतुष्टि के भीतर एक मासूम बालिका जिम्मेदारों की लापरवाही से हादसे का शिकार हो गई इसके बाद शहर में विधायक देवेंद्र जैन के मुर्दाबाद के नारे लग गए इस मामले में महल के बड़े जनप्रतिनिधियों का नाम भी शामिल था मुर्दाबाद का सिलसिला यहीं नहीं था नगर पालिका के एक पार्षद तारा राठौर के भाई मनीष राठौर के साथ मारपीट के बाद नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा मुर्दाबाद के नारे लग गए इसके बाद और भी कई मामले हैं जिन मामलों में शहर एवं जिले के नेताओं के मुर्दाबाद के नारे लगे है ताजा मामला पोहरी विधानसभा का है जहां कांग्रेस के विधायक कैलाश कुशवाहा जनता के हितेषी बने हैं और क्षेत्र में भाजपा के भ्रष्टाचार की लड़ाई लड़ रहे हैं आज इस जनहित के विधायक कैलाश कुशवाहा को लेकर पोहरी की नगर परिषद की अध्यक्ष के पक्ष कुछ नेताओं ने विधायक कैलाश कुशवाहा मुरादाबाद के नारे लगाए है कांग्रेस पार्टी मुर्दाबाद के नारे लगाए है मुख्यमंत्री मोहन यादव जिंदाबाद सांसद सिंधिया जिंदाबाद के नारे लगाए है ऐसे में शहर और जिले के भीतर कांग्रेस और बीजेपी के बीच में राजनीति गर्म हो गई है अब देखना होगा कि कांग्रेस और भाजपा की राजनीति में आगे क्या कुछ मोड़ आता है
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