पीडब्ल्यूडी विभाग के घोटाले के बाद शिक्षा विभाग में घोटाला दोनो ही मामलो में प्रशासन की ओर से ठोस कार्यवाही नही शिवपुरी। पिछले दिनो पीडब...
पीडब्ल्यूडी विभाग के घोटाले के बाद शिक्षा विभाग में घोटाला
दोनो ही मामलो में प्रशासन की ओर से ठोस कार्यवाही नही
शिवपुरी। पिछले दिनो पीडब्ल्यूडी विभाग में 7 करोड रुपये का घोटाला सामने आया था इस मामले में अभी तक पुलिस प्राथमिकी दर्ज हुई है और विभाग में आउटसोर्स कर्मचारी कम्पूटर ऑपरेटर गौरव श्रीवास्तव को पुलिस हिरासत में लेकर पूछताछ के बाद न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया है इसके बाद यह मामला जस की तस बना हुआ है इस मामले में अभी आगे और कुछ भी नही हुआ है इसके बाद शिक्षा विभाग में भी 1 करोड़ 4 लाख रुपये का घोटाला सामने आया है इस मामले में भी प्रशासन की तरफ से कोई ठोस कार्यवाही अभी तक सामने नही आई है।
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शिक्षा विभाग के घोटाले पर एक नजर
खनियाधाना के विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी के कार्यालय ( बीईओ ऑफिस ) में करीब 1.4 करोड रुपये से ज्यादा का वित्तिय घोटाला सामने आया है अभी फिलहाल घोटाले की बारीकी से जांच चल रही है घोटाले की राशि बड भी सकती है। जांच में खुलासा हुआ है कि कार्यालय के कुछ कर्मचारियों ने संगठित तरीके से अपने परिजनों व परिचितों के खातों में सरकारी फंड से 1 करोड़ 4 लाख 42 हजार 7 सौ 63 रुपए की राशि ट्रांसफर कर दी। यह गड़बड़ी भोपाल स्थित कोषालय एवं लेखा कार्यालय की सतर्कता से उजागर हुई।
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कलेक्टर ने की समिति गठित
जैसे ही मामला उजागर हुआ, शिवपुरी कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 4 सदस्यीय जांच समिति गठित की। जांच की जिम्मेदारी पिछोर एसडीएम शिवदयाल सिंह धाकड़ को सौंपी गई है। एसडीएम ने बताया कि अभी जांच प्रारंभिक चरण में है , लेकिन दो सूचियां प्राप्त हुई हैं—एक में 40 लाभार्थी और दूसरी में 20 स्थाई कर्मचारियों के नाम शामिल हैं। सभी के भुगतान बिलों की बारीकी से मिलान किया जा रहा है। 2018-19 से लेकर 2024-25 तक की अवधि के वेतन, मानदेय और एरियर भुगतान की फाइलों में हेराफेरी की आशंका जताई जा रही है। इस दौरान नियमों को ताक पर रखकर कपटपूर्ण तरीके से राशि वितरित की गई। जांच में दोष सिद्ध होने पर संबंधितों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
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शराब दुकान को लेकर पूर्व पार्षद ने पार्षद को घेरा
वार्ड क्रमांक 20 की शराब दुकान को लेकर वार्ड के पूर्व पार्षद ने वर्तमान पार्षद को सोशल मीडिया पर घेर लिया और तमाम तरह के आरोप लगा दिए यहा बताना होगा कि नीलगर चौराहे पर पिछले 50 वर्षो से एक ही स्थान पर अग्रेजी शराब की दुकान संचालित हो रही थी इस दुकान को लेकर वार्ड पार्षद विजय शर्मा और अन्य भाजपा नेता एवं वार्ड की जनता विरोध में आ गई और दुकान को हटाने की मांग करने लगी। इसके बाद प्रशासन ने कुछ दिनो का समय मांगा और शराब दुकान नीलगर चौराहे से हटकर गुरुद्धारा रोड पुरानी शिवपुरी वार्ड क्रमांक 20 में ही पहुंच गई। इसके बाद वार्ड क्रमांक 20 के पूर्व पार्षद गब्बर सिंह परिहार ने विजय शर्मा पर कई आरोप लगाए। परिहार ने विजय शर्मा को रिफूजी बताया। इसके साथ ही आईपीएल का सटोरिया बताया इतना ही नही शराब माफिया से लेन देन का आरोप भी लगाया। फिल हाल यह शराब दुकान पूरी तरह से विवादित बनी हुई है।
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पोषण आहार की सीईओ का मामला जस की तस
अभी कुछ दिनो पहले पोषण आहार केन्द्र की सीईओ युक्ति शर्मा के खिलाफ उन्ही के विभाग की महिला कर्मचारियो ने धरना प्रदर्शन किया और सीईओ का चौराहे पर पुतला भी दहन किया। महिला कर्मचारियो ने धरने पर बैठकर सीईओ युक्ति शर्मा पर भ्रष्टाचार और नियम विरुद्ध पद पाने के आरोप लगाए थे। इस मामले में अभी तक कुछ भी नही हुआ है और मामला जस की तस बना हुआ है।
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कमलागंज शराब दुकान से रातभर बिक रही है शराब
कमलागंज में स्थित शराब दुकान से रातभर शराब बिकने की खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है दुकान का एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें रात के करीब 1 बजे दुकान की खिडक़ी से कुछ ग्राहक शराब खरीदते दिख रहे है बाबजूद इसके आबकारी विभाग के अधिकारी इस तरफ कोई ध्यान नही दे रहे है। नतीजा शराब दुकान पर नियमो की अनदेखी कर रातभर शराब बेची जा रही है।
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बिना दस्तावेजो के शहर में कई क्लीनिक संचालित
पिछले लम्बे समय से शहर में बिना दस्तावेजो के क्लीनिक संचालित बनी हुई है इस तरफ स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियो ने कभी ध्यान नही दिया। अब अचानक से विभाग कार्यवाही करने पर उतर गया है विभाग ने अभी दो दिन में कार्यवाही की जिसमें फिजिकल रोड पर कुर्रेशी क्लीनिक और पोहरी चौराहे पर वीरेन्द्र धाकड क्लीनिक एंव लखन शर्मा क्लीनिक बिना दस्तावेजो के संचालित मिली। अब सवाल यह खडा होता है कि यह क्लीनिक एक या दो दिन पहले शुरु नही हुई है यह क्लीनिक पिछले लम्बे समय से संचालित बनी हुई थी इस तरह की क्लीनिको की संख्या जिले भर में काफी है लेकिन विभाग एक दो पर कार्यवाही कर पूरे साल भर इस तरह के क्लीनिक संचालिको से लाखो रुपये की उगाही करता है और एक वर्ष में देखने दिखाने को एक दो पर कार्यवाही कर देता है वह भी ठोस नहीं...? क्योंकि जिन पर विभाग कार्यवाही करता है वह क्लीनिक कुछ समय बाद ही द्धारा शुरु हो जाती है। विभाग इस तरह की छोटी मोटी कार्यवाहियो का भी लम्बा चौडा प्रेस नोट जारी कर मीडिया में सुर्खिया बठोरता है। बॉक्स
जज ने अपनी पत्नी को धोखे से दिया तलाक
शिवपुरी में एक पत्नी को उसके जज पति ने फिल्मी नाटक की तरह धोखे से तलाक दे दिया। शिवपुरी निवासी गंगा शाक्य ने प्रेसवार्ता आयोजित कर जज पति के धोखे से तलाक लेने के षडय़ंत्र पर चर्चा की है। गंगा ने बताया है कि उसके दो बच्चे है और जब उसकी शादी हुई थी उस समय उसका पति जज नही बना था। इस दौरान वह घर से एक लडकी को पढाने की कह कर निकलता था। वर्तमान में जज जिस लडकी को पढाता था वह भी अपने पति को छोड कर जज के साथ रहने लगी है। इस लडकी का नाम मौनिका है यह आशीष पाल की पत्नी है जबकी जज दीपू शाक्य की पत्नी गंगा शाक्य है। अशीष पाल और गंगा शाक्य दोनो शिवपुरी के निवासी है। दोनो ने प्रेसवार्ता आयोजित की है और उधर जज दीपू शाक्य और मौनिका अभी दोनो साथ में रह रहे है। यह मामला जस की तस बना है इस मामले में पुलिस अशीष पाल और गंगा शाक्य की कोई सुनवाई नही कर रही है।
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आदेश : हटेगें पंचायत सचिव और रोजगार सहायक
अभी हाल ही में पंचायत मंत्री ने एक आदेश जारी किया है जिसमें कहा है कि जल्द ही पंचायत सविच और रोजगार सहायक अपने काम से हटेगें। यह आदेश सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। अब देखना होगा कि पूरे मध्य प्रदेश में कहा कहा पर रोजगार सहायक और पंचायत सचिव हटाएं जाएंगे।
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पुलिस ठोकेगी सलाम
मध्य प्रदेश के पुलिस विभाग के डीजीपी ने एक आदेश जारी किया है जिसमें कहा है कि पुलिस ने अधिकारी किसी भी सरकारी कार्यक्रम व सम्मान समारोह एंव आमने सामने मुलाकात में विधायक और संासदो को सलूट करेंगे साथ ही उनसे अच्छा व्यावहार करेंगें।
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जनता से पैसो की लूट पर चुप सिविल सर्जन
अभी हाल ही में जिला चिकित्सालय के भीतर सुरक्षा गार्ड और भर्ती मरीज के परिजनो में झड़प का एक मामला सामने आया था जिसमें कॉफी हू हल्ला हुआ था बाद में इस मामले को लेकर कुछ जनप्रतिनिधि भी सिविल सर्जन के जेंबर पहुंचे थे लेकिन इस मामले में सिविल सर्जन ने सुरक्षा गार्ड को निलबिंत करवा दिया था और सुरक्षा ऐजेशी को एक कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया था इसके बाद से अभी तक यह मामला जस की तस बना हुआ है। इस मामले में और ठोस कार्यवाही सुरक्षा ऐजेशी के खिलाफ होना चाहिए थी लेकिन सिविल सर्जन इस तरफ अपना मुँह बंद कर बैठे हुए है।
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