*🌳 वन भूमि पर चला बुलडोजर, रेंजर माधव सिकरवार की सख्ती रंग लाई – 1000 बीघा से अधिक भूमि कराई मुक्त!* शिवपुरी/सतनवाड़ा – वन भूमि पर वर्षों ...
*🌳 वन भूमि पर चला बुलडोजर, रेंजर माधव सिकरवार की सख्ती रंग लाई – 1000 बीघा से अधिक भूमि कराई मुक्त!*
शिवपुरी/सतनवाड़ा –
वन भूमि पर वर्षों से चले आ रहे अतिक्रमण के खिलाफ एक के बाद एक कड़े कदम उठाते हुए, सतनवाड़ा वन परिक्षेत्र के रेंजर माधव सिंह सिकरवार ने अब तक 1000 बीघा से अधिक वन भूमि को अतिक्रमण से मुक्त करा दिया है। हाल ही में हुई बड़ी कार्यवाही में वन विभाग ने 275 बीघा भूमि पर से अवैध कब्जा हटवाया, जिससे अतिक्रमणकारियों में हड़कंप मच गया है।
यह कार्रवाई उन लोगों के खिलाफ थी जिन्होंने वन भूमि पर बागवानी और खेती करना शुरू कर दिया था। भारी पुलिस बल, वन विभाग की टीम और जेसीबी मशीन की मदद से अतिक्रमण को हटाया गया। यह सब कुछ कानून के दायरे में रहकर किया गया, पूर्व में कई बार नोटिस भी दिए जा चुके थे।
*👉 पहले भी हो चुकी है 600 बीघा की ऐतिहासिक कार्रवाई...*
रेंजर सिकरवार के नेतृत्व में इससे पहले 600 बीघा वन भूमि को अतिक्रमणमुक्त कराया गया था। लगातार इस तरह की कार्रवाई से यह स्पष्ट है कि वन विभाग अब किसी भी हाल में सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण सहन नहीं करेगा।अधिकारीगण का कहना है कि क्षेत्र के कई अन्य हिस्सों में अब भी वन भूमि पर अतिक्रमण बना हुआ है, जिसकी पहचान कर ली गई है। आगामी दिनों में वहां भी बुलडोजर चलना तय है।
रेंजर माधव सिकरवार की यह कार्रवाई न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक कड़ा संदेश भी है उन लोगों के लिए जो सरकारी ज़मीन को अपनी निजी संपत्ति समझते हैं। यह कार्यवाही यह दर्शाती है कि प्रशासन अब सख्त है और क़ानून का पालन अनिवार्य है।
*🛡️ सेवा, शौर्य और संस्कार की विरासत,तीसरी पीढ़ी के रेंजर माधव सिंह सिकरवार चल रहे है दादा-पिता के कदमो पर..*
👉सतनवाड़ा वन परिक्षेत्र में लगातार हो रही सख्त व निष्पक्ष कार्रवाईयों के पीछे केवल एक सरकारी दायित्व नहीं, बल्कि एक गौरवशाली विरासत की प्रेरणा भी है। रेंजर माधव सिंह सिकरवार उस वंश परंपरा के प्रतिनिधि हैं, जिसने पीढ़ियों तक प्रदेश की कानून-व्यवस्था को अनुशासन, समर्पण और शौर्य से संभाला है।
👉 रेंजर माधव के दादा रामनारायण सिंह सिकरवार"लहरी" मध्यप्रदेश पुलिस के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) के पद से सेवानिवृत्त हुए। अपने समय में वे एक जाबांज़, निर्भीक और निष्पक्ष अफसर के रूप में जाने जाते थे, जिनकी खाकी वर्दी में अनुशासन की कठोर रेखाएं और आमजन के प्रति संवेदना की नमी समान रूप से विद्यमान थी। प्रदेश के कई जिलों में उन्होंने बड़े आपराधिक मामलों को सुलझाया और अपराधियों में खौफ पैदा किया।साहसिक सेवाओ के लिये उन्हें उच्च सम्मान भी प्राप्त हुए।
👉माधव सिकरवार के पिता सुरेश सिंह सिकरवार, मध्यप्रदेश पुलिस में एसडीओपी (अनुविभागीय अधिकारी पुलिस) के पद से सेवानिवृत्त हुए। उनका व्यक्तित्व अपने आप में कठोर अनुशासन और सहज व्यवहार का अनूठा मिश्रण था। जिस भी जिले में वे पदस्थ रहे, वहां उनकी कार्यशैली और निर्णय क्षमता ने उन्हें एक रुतबेदार अफसर के रूप में स्थापित किया। पुलिस विभाग में उनका नाम आज भी आदर्श अधिकारियों में गिना जाता है, जिनके कार्यों की गूंज आज भी सुनाई देती है।
💫अब उसी विरासत के वाहक हैं रेंजर माधव सिंह सिकरवार
जब सतनवाड़ा परिक्षेत्र की वन भूमि से अतिक्रमण हटवाते हैं, तो उसमें केवल प्रशासनिक कर्तव्य नहीं बल्कि खून में दौड़ती एक परंपरा की जिम्मेदारी भी नजर आती है। वे केवल एक अधिकारी नहीं, बल्कि उस परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं जो ‘सेवा को सम्मान’ और ‘कर्तव्य को धर्म’ मानती है।
उनकी कार्यशैली में सख्ती है, लेकिन जनहित के लिए संवेदनशीलता भी है। यही संतुलन उन्हें एक आम अधिकारी से अलग करता है। वह प्रदेश की नई पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा हैं कि कैसे पारिवारिक मूल्यों और सेवा परंपरा को आगे बढ़ाया जा सकता है।
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