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अपना घर गौशाला सेवा संस्कार और श्रद्धा के पावन संगम से बनी धाम

 🙏 # अपना_घर_गौशाला – सेवा, संस्कार और श्रद्धा के पावन संगम से बनी"धाम" 🙏 (सुंदरकांड की पंक्तियों संग गूंजा ‘गौसेवा ही देवसेवा’क...

 🙏 #अपना_घर_गौशाला – सेवा, संस्कार और श्रद्धा के पावन संगम से बनी"धाम" 🙏

(सुंदरकांड की पंक्तियों संग गूंजा ‘गौसेवा ही देवसेवा’का मंत्र)


👉🐑🐃शिवपुरी/-जब भक्ति, सेवा और संस्कार एक ही छत के नीचे साथ आ जाएं, तो वहाँ केवल आयोजन नहीं होते, वहाँ भावों का विसर्जन होता है और ‘अपना घर गौशाला’ में बीते रोज कुछ ऐसा ही दृश्य साक्षात हुआ।

आयोजन था गौरज भूमि पर प्रभु की आराधना सुंदरकांड पाठ का ।प्रातःकाल से ही आश्रम परिसर में अद्भुत आध्यात्मिक आभा फैली हुई थी। भक्तों की पवित्र आस्था और गौसेवकों की सेवा-भावना के संग जब श्री सुंदरकांड पाठ की ओजपूर्ण स्वर-लहरियाँ गूंजने लगीं, तो मानो सम्पूर्ण वातावरण प्रभु श्रीराम की कृपा से आलोकित हो उठा।

शिवपुरी नगर से पधारे संतजन, समाजसेवी, पत्रकार बंधु, मातृशक्ति और श्रद्धालुजन – सभी का एक ही ध्येय था ,‘राम नाम का जप और गौसेवा का यज्ञ।’तपोभूमि बन चुकी इस गौशाला में आयोजित सुंदरकांड को सुन स्वतः ही यह महसूस होने लगा कि यह केवल एक पाठ नहीं, विपरीत परिस्थितियों में भी विश्वास, धैर्य और भक्ति का दामन थामे रखने की सीख है। जब यही पाठ गौमाता की गोद में बैठकर होता है, तब उसका प्रभाव केवल कानों में नहीं, आत्मा में उतरता है।


🐄 'अपना घर गौशाला' कोई ईंट-पत्थर की बनी संरचना नहीं है, यह तो जीवंत आत्माओं से रची बसी एक संवेदनशील तपस्थली है। यहाँ हर साँस सेवा में, हर कदम संस्कार में और हर विचार श्रद्धा में लिप्त दिखाई देता है।इस आश्रम में मौजूद तकरीबन 500 से अधिक गौमाताओ के चेहरे पर सुकून,आनंद,तृप्ति का भाव स्वतः झलक रहा था।इस आयोजन ने इस बात को फिर से सिद्ध किया कि जब संस्था का उद्देश्य परोपकार हो, तो वहाँ हर व्यक्ति,समूह की उपस्थिति एक सत्संग बन जाती है।


🍽️ पाठ के उपरांत जब सभी आगंतुकों को दाल-बाटी-चूरमा की प्रसादी परोसी गई, तो वह केवल भोजन नहीं था, वह एक आत्मिक आचमन था ।प्रेम से सजी पंगत, श्रद्धा से सजी थाली और आत्मीयता से भरपूर सेवा। हर निवाले में गौमाता की कृपा और हर घूंट में प्रभु श्रीराम की भक्ति का स्वाद महसूस हो रहा था।

🙏 गौशाला परिवार के समर्पित सेवकों ने केवल व्यवस्था नहीं संभाली, उन्होंने प्रेरणा दी। उनके चेहरे पर संतोष, व्यवहार में विनम्रता और शब्दों में सेवा का दीप जल रहा था। उन्होंने यह बता दिया कि सच्ची पूजा केवल मंदिरों में नहीं, गौशालाओं की धूल में भी होती है।इतना ही नही कन्याओं के चरण छूकर दक्षिणा भेंट करने के संस्कारों ने इस तपस्थली में अभिभूत कर दिया।


🌼गौशाला के संरक्षक मंडल, आयोजन समिति और सभी सहयोगियों को कोटिशः साधुवाद, जिनकी निःस्वार्थ भावना ने यह आयोजन संभव बनाया। इस शुभ अवसर ने समाज में एक सकारात्मक, समरस और समर्पित चेतना को जन्म दिया।

📿 इस गौशाला के कल ओर आज को देख यह महसूस हुआ कि यकीनन आने वाले दिनों में यह एक धाम बनेगी जिसके दर्शन मात्र से संकट कट जायेगे।

🙏 जय श्रीराम। जय गौमाता। जय सेवा। 🙏

(✍️बृजेश सिंह तोमर)

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