आखिर विधायक कैलाश कुशवाह का क्या दोष...??? शिवपुरी / बीती शाम जब शिवपुरी मेडिकल कॉलेज से एक महिला के अपहरण की खबर आई, तो शहर में हड़कंप मच...
आखिर विधायक कैलाश कुशवाह का क्या दोष...???
शिवपुरी / बीती शाम जब शिवपुरी मेडिकल कॉलेज से एक महिला के अपहरण की खबर आई, तो शहर में हड़कंप मच गया। अंधेरा गहराता गया और पीड़ित पक्ष के साथ आमजन सड़कों पर उतर आए। चौराहे पर चक्का जाम हुआ, नारेबाज़ी शुरू हुई, लोगों की भीड़ बढ़ती गई।ऐसे हालातों में कांग्रेस के पोहरी विधायक कैलाश कुशवाह का वहां पहुँचना क्या गलत था?
क्या एक जनप्रतिनिधि का दायित्व नहीं बनता कि जब जनता आक्रोशित हो, पीड़ित परिवार सड़क पर हो, तो वह उनके बीच पहुंचे?
क्या एक जनप्रतिनिधि को केवल वातानुकूलित कमरों में बैठकर बयान देने चाहिए?
जब बात बेटी की सुरक्षा,शहर में अमन की थी तो कैलाश कुशवाह वहाँ पहुंचे। भीड़ के बीच खड़े हुए। पीड़ित परिवार को भरोसा दिलाया, और मीडिया के पूछने पर कहा कि"अगर पुलिस ने महिला को बरामद नहीं किया तो सुबह फिर से चक्का जाम करेंगे!"
यह कोई उकसावा नहीं था ,
बल्कि एक दबाव का माध्यम था प्रशासन पर, पुलिस पर, कि वे रात को ही हरकत में आएं ओर महिला को बरामद करें। हुआ भी यही कि कोतवाली टीआई कृपाल सिंह राठौर ने अपनी टीम के साथ सूझबूझ ओर तत्परता से कार्य किया और मामले की असली सच्चाई कुछ ही घण्टो में उजागर कर दी।
अब जब सच ये सामने आया कि महिला का अपहरण नहीं हुआ था, बल्कि वो घरवालों की सहमति(माँ, ताई,भाई..)से गांव के ही अमन के साथ गयी है,ओर परिवार ने अपहरण की झूठी कहानी बनाई। सोशल मीडिया पर कुछ लोग विधायक पर भी सवाल उठाने लगे।
यहाँ प्रश्न ये उठता है कि-
क्या विधायक ने खुद से कोई आरोप लगाया था..?
क्या उन्होंने बिना पीड़ित परिवार की बात सुने कोई बयान दिया था...?
क्या उनका जनता के बीच जाना कोई गुनाह था जबकि घटना का प्रथम द्रष्टव्या पहलू भीड़ भरे स्थान से एक महिला के अपहरण जैसा गम्भीर हो ...?
दरअसल, आज की राजनीति में जहां अधिकतर नेता घटनाओं से दूरी बनाते हैं, वहां कैलाश कुशवाह जैसे सरल,सहज विधायक जनता के बीच खड़े मिलते हैं।तो फिर दोष किस बात का...?
दोष इस बात का कि वे जनभावनाओं के साथ खड़े हुए..?
दोष इस बात का कि उन्होंने पीड़ित परिवार की बात सुनी और पुलिस को सजग किया!
या दोष इस बात का कि सच सामने आ गया और उन्होंने कोई अहंकारी प्रतिक्रिया नहीं दी...?
नेताओं,जनप्रतिनिधियों से हम क्या अपेक्षा रखते हैं कि वे जनता से कटे रहें या उनके सुख-दुख में खड़े हों....?
आज यदि कोई जनप्रतिनिधि जनता की पीड़ा में सहभागी बनता है, तो उस पर दोष मढ़ना कहां तक न्यायसंगत है...?
इसलिए सवाल यह नहीं कि "कैलाश कुशवाह का क्या दोष है?"बल्कि सवाल यह होना चाहिए कि "ऐसे समय में जब अफवाहें और आक्रोश फैल रहे थे, अगर वे चुप बैठे रहते तो क्या यह जिम्मेदारी का परिचायक होता...?"
कैलाश कुशवाह का दोष यही है कि वे जनता के विधायक हैं, सिर्फ चुनावी नहीं… ज़मीनी भी...।
मेरी नजर में विधायक कैलाश कुशवाह को ऐसी परिस्थिति में यही करना चाहिये था जो उन्होंने किया।सिर्फ कैलाश ही नही बल्कि हर जन प्रतिनिधि को जनता के सुख-दुख में साथ खड़े होना चाहिए..!
इतना ही नही पोहरी विधायक कैलाश कुशवाह को कोतबाली टीआई कृपाल सिंह राठौड़ व पुलिस टीम का इस गुत्थी को चंद घण्टो में सुलझाने हेतु सम्मान भी करना चाहिये तांकि पुलिस का हौसला बढे..!
कोतवाली पुलिस को बधाई..!!
Brajesh_singh_tomar
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