भोपाल। समय पूर्व बर्फबारी प्रारंभ होने से प्रदेश में ठंड असर तेजी से बढने लगा है। बर्फबारी करीब 20 दिन पहले ही शुरू हो गई, इसके असर से र...
भोपाल। समय पूर्व बर्फबारी प्रारंभ होने से प्रदेश में ठंड असर तेजी से बढने लगा है। बर्फबारी करीब 20 दिन पहले ही शुरू हो गई, इसके असर से रात के समय ठंड भी महसूस होने लगी है। प्रदेश में अमूमन नवंबर माह में गुलाबी ठंड की शुरुआत होती रही है। नवंबर मध्य में सर्दी जोर पकड़ने लगती है, लेकिन इस वर्ष अक्टूबर में ही वातावरण में सिहरन बढ़ गई है। मध्य प्रदेश में न्यूनतम तापमान अक्टूबर में ही पारा 12 डिग्री सेल्सियस तक आ गया है। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक इस वर्ष मानसून 15 अक्टूबर को विदा हुआ। इसके पूर्व रुकरुककर वर्षा होती रही। इसके अतिरिक्त उत्तर भारत के पहाड़ों पर मौसम के मिजाज के विपरीत 20 दिन पहले ही बर्फबारी शुरू हो गई, जिसके चलते मध्यप्रदेश में अक्टूबर में ही सर्दी बढ़ गई है। हालांकि वर्तमान में मध्य प्रदेश के मध्य में एक प्रति चक्रवात बन गया है। उसके प्रभाव से अभी तीनचार दिन तक तापमान में उतारचढ़ाव का सिलसिला बना रहेगा। जानकारी के मुताबिक इस बार बंगाल की खाड़ी में लगातार मौसम प्रणालियों के बनने से अक्टूबर के मध्य तक पूरे मध्यप्रदेश में रुकरुक कर वर्षा का सिलसिला जारी रहा था। इसके अतिरिक्त अक्टूबर की शुरुआत में ही उत्तर भारत के पहाड़ों पर बर्फबारी होने लगी थी। जिसके चलते मानसून की वापसी होने पर बादल छंटने लगे। साथ ही उत्तर भारत की तरफ से सर्द हवाओं के आने से मध्य प्रदेश में सर्दी शुरू हो गई। पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला के अनुसार, मानसून की विदाई के समय राजस्थान पर बने प्रति चक्रवात के कारण वातावरण तेजी से शुष्क होने लगा था। आसमान साफ होने के साथ ही उत्तर भारत की तरफ से आने वाली सर्द हवाओं ने रात में सिहरन बढ़ा दी। इस बार उत्तर भारत के पहाड़ों पर भी तय समय से करीब 20 दिन पहले बर्फबारी शुरू हो गई थी, जिसके चलते सर्दी ने समय से पहले दस्तक दे दी। इस वर्ष अक्टूबर में मध्यप्रदेश में राजधानी के अलावा पड़ोसी जिले रायसेन में रात के तापमान में काफी गिरावट दर्ज की गई है। राजधानी में इस सीजन में पारा 14 डिग्री सेल्सियस तो रायसेन में 12 डिग्री सेल्सियस तक आ चुका है। शुक्ला के मुताबिक इस बार वर्षा अक्टूबर मध्य तक होती रही है। इसके अतिरिक्त जमीन में काफी नमी मौजूद है। दिन छोटे होने लगे हैं, इस वजह से जमीन शुष्क नहीं हो पा रही है, जिसके चलते भोपाल और रायसेन के न्यूनतम तापमान में अधिक गिरावट हो रही है।
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