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खुलेआम बेचा जा रहा है गांजा

  दिनारा कस्बे में प्रशासन की नाक के नीचे चल रहा अवैध गांजे का कारोबार लेकिन कार्यवाही नहीं प्रशासन द्वारा बार-बार लोगों को जागरुक किया जा र...

 दिनारा कस्बे में प्रशासन की नाक के नीचे चल रहा अवैध गांजे का कारोबार लेकिन कार्यवाही नहीं

प्रशासन द्वारा बार-बार लोगों को जागरुक किया जा रहा है नशा मुक्ति अभियान को लेकर प्रशासन की नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है।

कस्बे में शाम होते ही में बदल जाता है मेरिन-ड्राइव नशेडियों का अड्डा



आलम यह है कि नगर में जगह-जगह खुलेआम पुलिस-प्रशासन के आंख के नीचे गांजे की बिक्री हो रही है। शहर के गली मोहल्लों में गांजा आसानी से मुहैया हो रहा है। लेकिन पुलिस प्रशासन धृतराष्ट्र की भूमिका में मशरूफ है।यही वजह है कि गांजे का अवैध कारोबार करने वालों के हौसले बुलंद हैं।

 दिनारा /बीतें एक साल से गांजे के अवैध धंधे में लिप्त कारोबारियों पर पुलिसिया चाबुक नही चला हैं। यहां यह भी बताना जरूरी है कि शहर व ग्रामीण क्षेत्र में कई वर्षों से गांजे का अवैध कारोबार खुलेआम हो रहा हैं। गांव-गांव तक फैला यह व्यापार तेजी से लोगों के बीच नशा बांट रहा हैं। नशे के इस अवैध व्यापार को रोकने के लिए नारकोटिक्स एक्ट बनाया गया है, लेकिन पुलिस व आबकारी विभाग गांजे की बिक्री पर अंकुश नहीं लगा पा रही हैं। आलम यह है कि इसके गिरफ्त में युवा वर्ग चपेट में आ चुका है।


*मेरीन-ड्राइव बना असामाजिक अड्डा*

अक्सर देखा जाता है कि नशे के आदी व्यक्ति कहीं भी चिलम सुलगाने लगते है। चाहे वह सार्वजनिक स्थान हो या फिर खुला मैदान, इतना ही नही इस तरह का नशा करने वाले लोग सड़क के किनारे भी बैठ कर चिलम चढ़ाने लगते हैं। पुख्ता सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन दिनों शहर के बीचोंबीच मेरीन-ड्राइव गंजेडियों की पहली पसंद है जहां सूरज ढलते ही गांजे की कश लगाने वालों को आसानी से देखा जा सकता है जिनमें ज्यादातर छोटे तबके के लोगों के अलावा शहर के रसूखदारों की भी बराबर मौजूदगी रहती है। पर विडंबना यह है कि मेरीन-ड्राइव से सटे हुये पुलिस थाना इस पर अब तक अपनी आंखे मूंदे हुये है।


प्रतिमाह लाखों रूपए का अवैध कारोबार


पुलिस प्रशासन द्वारा कार्यवाही नहीं करने से गांजे के कारोबारी बेखौफ होकर खुलेआम नशे के नाम पर मौत की पुडिया बेच रहे है। एक अनुमान के मुताबिक शहर व शहर से लगे आस-पास के ग्रामीण इलाकों में प्रतिमाह लगभग 20-30 लाख रुपये की गांजे की बिक्री हो रही है जिसकी दो ही वजह संभव है या तो गांजे का अवैध कारोबार पुलिसिया संरक्षण में फल-फूल रहा है या फिर पुलिसिया खुफिया तंत्र को गांजे के अवैध कारोबार के विषय में कोई इनपुट नहीं मिल पा रही है। ऐसे में दोनों ही स्थितियों को शहर के हित नहीं माना जा सकता है।

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