नगर मे दूध का कारोबार जोरों पर चल रहा है। जिम्मेदार अधिकारी नहीं कर रहे सेंपलिंग दिनारा /त्योहार पर दूध की खपत करने के बाद अब साहलग पर म...
नगर मे दूध का कारोबार जोरों पर चल रहा है। जिम्मेदार अधिकारी नहीं कर रहे सेंपलिंग
दिनारा /त्योहार पर दूध की खपत करने के बाद
अब साहलग पर मिलावटी दूध खपाने की तैयारी चल रही है । नगर व आसपास क्षेत्र में रहने वाले लोगों को दूध के नाम पर मीठा जहर बेचा जा रहा है। हलवाई जहां मिलावटी मावा का इस्तेमाल कर रहे हैँ, वहीं दूध विक्री करने वाले लोगो के घर में पाउडर व रिफाइंड से तैयार दूध सप्लाई किया जा रहा है। मिलावटी के इस कारोबार से न केवल आमजन की सेहत को खतरा है, बल्कि स्थानीय प्रशासन ने जल्द ही इस ओर ध्यान नहीं दिया तो गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
बताया गया है नगर में प्रतिदिन 50 हजार लीटर दूध सप्लाई किया जा रहा है। इसके अलावा ढाई लाख लीटर दूध की सप्लाई शिवपुरी ग्वालियर, मुरैना, , पिनाहट, आगरा, श्योपुर जैसे शहरों में की जा रही है। बावजूद इसके खाद्य अधिकारी इस ओर ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। वहीं नगर की कई बड़ी दुकानों पर नकली दूध बनाने का सामान खुलेआम बिक रहा है। माल्टा (सफेद पेस्ट) व बोरियों में ग्लूकोज की बिक्री हो रही है। माल्टा यानी सफेद पेस्ट या कहिए तैयार नकली दूध। जिसे एक टैंकर में एक लीटर डालने भर से एक टैंकर नकली दूध तैयार हो जाता है।
दूध को अधिक चिकना व वास्तविक जैसा बनाने के लिए रिफाइंड, हल्की मिठास के लिए ग्लूकोज, झाग के लिए इजी व अन्य डिटरजेंट, कलर के लिए केमिकल्स आदि का प्रयोग किया जा रहा है। यह सारा सामान खुलेआम नगर की कई बड़ी दुकानों पर बिक रहा है। सूत्र बताते हैं कि नकली दूध बनाने का सामान नगर में आगरा, लखनऊ से पिनाहट के रास्ते आ रहा है। वहीं दीपावली के त्यौहार पर नकली दूध बनाने वाले लोग मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में आमजन की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं।
अगर जल्दी ही स्थानीय प्रशासन ने इसे रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। क्योंकि इन दिनों बड़े पैमाने पर खोवा, पनीर नकली दूध से तैयार किया जा रहा है। मिलावटी दूध से बनाई जा रही यह सामग्री ग्वालियर, मुरैना, शिवपुरी, पिनाहट, आगरा सप्लाई की जा रही है, वहीं नगर में भी इनका प्रयोग खूब हो रहा है।
ऐसे बनता है सिंथेटिक दूध
आधा लीटर शुद्ध दूध और सोयाबीन रिफाइंड का आधा लीटर तेल मिक्सर से मिलाते हैं। तब फैट बनकर तैयार हो जाता है। इसके अलावा थोडा नमक, चीनी(बूरा), यूरिया खाद और ग्लूकोज को पानी में मिलाते हैं। अगर चिकनाहट कम रह जाती है तो उसके एक अलग किस्म को केमिकल मिलाते हैं। दूध में झाग लाने के लिये यूरिया खाद और इजी शैंपू का प्रयोग किया जाता है।
इन स्थानों पर खुली दूध डेरिया
दिनारा अशोक होटल के पास, पिछोर रोड, दिनारा डाक बंगला के पास, दावरदेही रोड़,छितिपुर,थदरा, खुदावली समोहा आदि जगहों पर दूध डेयरियों का संचालन किया जा रहा है।
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