"हर दिन हर घर आयुर्वेद" कार्यक्रम का शुभारंभ गुना / आयुष मंत्रालय भारत सरकार एवं संचालनालय आयुष विभाग म.प्र. शासन के निर्देशानुसा...
"हर दिन हर घर आयुर्वेद" कार्यक्रम का शुभारंभ
गुना /
आयुष मंत्रालय भारत सरकार एवं संचालनालय आयुष विभाग म.प्र. शासन के निर्देशानुसार आज जिला चिकित्सालय परिसर में स्थित रेडक्रॉस भवन में धन्वंतरि जयंती के अवसर पर सातवें राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस का आयोजन "हर दिन हर घर आयुर्वेद'' की थीम पर किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान धन्वंतरि के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन, माल्यार्पण एवं पूजन कर किया गया। धन्वंतरि पूजन के पश्चात जिला प्रशासन की परम्परा अनुसार कन्या पूजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि माननीय विधायक श्री गोपीलाल जाटव, सांसद प्रतिनिधिद्वय श्री रमेश मालवीय एवं श्री सचिन शर्मा, स्थानीय पार्षद श्री दिनेश शर्मा, जिला आयुष अधिकारी डॉ. पी. एस. भार्गव, प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एस. जे. बैक, सिविल सर्जन डॉ. एस. ओ. भोला,डॉ. अनिल विजयवर्गीय, डॉ. शिल्पा टांटिया, डॉ. पी. एन. धाकड़, श्री यशवंत रघुवंशी, श्री कुलदीप उपाध्याय, श्री संजय शर्मा, श्री मनोज कोरी, श्री सत्येंद्र रघुवंशी, श्री सत्येंद्र शर्मा सहित आयुष विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों सहित गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन नोडल अधिकारी डॉ. के. एस. गनावे द्वारा किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं अन्य अतिथियों ने आयुर्वेद के संबंध में अपने विचार व्यक्त किये। इस वर्ष आयुष मंत्रालय ने इस कार्यक्रम की थीम हर दिन हर घर आयुर्वेद रखी गई है। इस थीम ने समग्र स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद के प्रति जागरूकता फैलाने पर जोर दिया है। यह कार्यक्रम जनसंदेश जनभागीदारी जन आंदोलन के उद्देश्य के साथ भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों की भागीदारी को चिन्हित करेगा। इस दिवस का उद्देश्य प्रत्येक नागरिक तक पहुंच को सक्षम बनाना साथ ही देश को स्वस्थ और मजबूत बनाने की दिशा की ओर अग्रसर करना है। इस दिवस का लक्ष्य आयुर्वेद को घर-घर ले जाना और स्वस्थ भारत से स्वस्थ दुनिया की ओर सपनों को साकार करना है। यह कार्यक्रम पिछले 6 सप्ताह से चल रहा है। पहला सप्ताह समग्र रूप से आयुर्वेद, दूसरा सप्ताह सहस्त्राब्दी के लिए आयुर्वेद, तीसरा सप्ताह आहार में आयुर्वेद, चौथा सप्ताह वृद्धों के लिए आयुर्वेद, पांचवा सप्ताह मानसिक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद, छठा सप्ताह आयुर्वेद का अनुभव वितरण करना।
आयुर्वेद में आहार को औषध बताया गया है। अन्न से उच्च कोई औषधि नहीं है। हम केवल अन्न के सेवन मात्र से भी निरोगी रह सकते हैं। मोटापा प्रमेह उच्च रक्तचाप आदि गंभीर बीमारियां से बचने के लिए हम हमारे आहार में क्षुद्र धान्य को शामिल कर सकते हैं जैसे बाजरा ज्वार इत्यादि। बच्चों में प्रोटीन एनर्जी मालन्यूट्रिशन की कमी को दूर करने के लिए हमें उन्हें शाली चावल से बने खिचड़ी दलिया एवं तेल सेंधा नमक, गुड, आंवला भी इन्हें उनके आहार में अवश्य शामिल करें। प्रमेही रोगियों के लिए मूंग की दाल का पानी तिक्त शाक पुरानी शाली चावल सरसों का तेल इन्हें आहार में शामिल करें। ऋतु के अनुसार हमें आहार व्यवस्था को भी सुधारना जरूरी है, क्योंकि जैसे-जैसे ऋतु में परिवर्तन होते हैं, वैसे-वैसे हमारे शरीर में दोषों में परिवर्तन होते हैं। उदाहरण स्वरूप हेमंत ऋतु का आगमन होने वाला है, इस ऋतु में जठराग्नि अत्यंत प्रदिप्त होती है, अतः हमें स्निग्ध मधुर रस वाले आहार दूध से बने पदार्थ गन्ने से बने पदार्थ इनका हम आसानी से सेवन कर सकते है। उपरोक्त विवरण से यही निष्कर्ष निकलता है की हमें हमारी आहार व्यवस्था व्यवस्थित रखनी चाहिए। यदि वह सुव्यवस्थित है तो हमें औषध की आवश्यकता नहीं है और यदि वही अस्त-व्यस्त है तो औषधि भी हमारी निरूपयोगी है।
इस अवसर पर नि:शुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन भी किया गया। जिसमें डॉ सोनू रघुवंशी, डॉ अंकेश अग्रवाल, डॉ अनूप सोनी, डॉ आकांक्षा गुप्ता, डॉ रानी राठौर, डॉ नीलम जाटव, डॉ ज्योति रघुवंशी, डॉ शैलेंद्र, अशोक शर्मा, श्री निवास कश्यप, सरोज कुशवाह, ममता कुशवाह, दशरथ प्रसाद, हेमराज, हेमंत शर्मा, बृजमोहन शर्मा ने अपनी सेवाएं दी। शिविर में कुल 165 लाभार्थियों ने निशुल्क चिकित्सा परामर्श एवं औषधि वितरण प्रदान किया गया।
कार्यक्रम के अंत में जिला आयुष अधिकारी डॉ. पी. एस. भार्गव ने समस्त अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर आभार प्रदर्शन किया।
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