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केबिनेट से मिली मंजूरी: अब जनता चुनेगी नपाध्यक्ष, पुराने अध्यक्षों में है कोई दावेदार?

  केबिनेट से मिली मंजूरी: अब जनता चुनेगी नपाध्यक्ष, पुराने अध्यक्षों में है कोई दावेदार?  अप्रत्यक्ष प्रणाली के चुनाव का दंश झेल रही प्रदेश ...

 केबिनेट से मिली मंजूरी: अब जनता चुनेगी नपाध्यक्ष, पुराने अध्यक्षों में है कोई दावेदार? 

अप्रत्यक्ष प्रणाली के चुनाव का दंश झेल रही प्रदेश सरकार, शिवपुरी की तरह कई जिलों के यही हाल


शिवपुरी/  अब नगरपालिका या नगर परिषद में अध्यक्ष का चुनाव पार्षद नहीं, बल्कि जनता सीधे अपनी पसंद का अध्यक्ष चुनेंगे। क्योंकि अप्रत्यक्ष प्रणाली से अध्यक्ष चुने जाने से केवल शिवपुरी ही नहीं, बल्कि प्रदेश की कई नगरपालिका और नगरनिगम में हालात खराब हैं। इसमें एक सवाल यह भी है कि अभी तक जितने नपाध्यक्ष बने हैं, उनमें से कौन सा ऐसा चेहरा है, जो फिर से दावेदारी कर सकता है..?

गौरतलब है कि शिवपुरी नगरपालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा जनता की पसंद ना होकर पूर्व केबिनेट मंत्री यशोधरा राजे का शहर को दिया गया अनमोल तोहफा है। पिछले दो माह से चल रही खींचतान के बीच वरिष्ठ भाजपा नेता और पार्षद ओमी जैन ने मीडिया के समक्ष स्पष्ट कहा था कि अध्यक्ष तो हम पार्षदों की गर्दन पर तलवार रखकर थोपी गई थीं। तीन साल तक शहर विकास के लिए आई राशि की लूट खसोट करने के बाद जब कुर्सी खतरे में आई तो आंसू बहा कर पार्षदों से माफी मांग रही हैं।

नगरपालिका में किए गए भ्रष्टाचार प्रशासन की जांच में प्रमाणित भी हो गए। जिसका रोचक पहलू यह है कि एसडीएम की जांच रिपोर्ट पर तो महज 16 लाख के भ्रष्टाचार पर तीन लोगों पर एफआईआर हो गई, लेकिन एडीएम की रिपोर्ट में करोड़ों का भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद अभी तक किसी पर कोई एफआईआर नहीं हुए, जबकि उसमें कई चेहरों से पर्दा उठ गया है। अब देखना यह है कि एडीएम की जांच रिपोर्ट कुछ बड़ा बदलाव करेगी, या फिर उसे सिर्फ बंडल बनाकर ही रखा जाएगा।

अभी तक शिवपुरी में जो नपाध्यक्ष रहे, उनके।नामों पर यदि गौर किया जाए तो गणेशीलाल जैन, माखनलाल राठौर, जगमोहन सिंह सेंगर, ऋषिका अष्ठाना, मुन्नालाल कुशवाह धरातल पर हैं। इनमें से कोई चेहरा अगले नपाध्यक्ष के रूप में शहर की जनता देखना चाहेगी, या फिर कोई नया चेहरा अगले चुनाव में होगा?, यह तो दो साल बाद सामने आएगा। लेकिन प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली से चुनाव होने से जनता का चहेता नगर का प्रथम नागरिक बनेगा, तथा प्रदेश की दूसरी नगरपालिका या नगर निगम।में जो हालात बने हुए हैं, वो फिर नहीं बनेंगे।

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